तुनक कर तुम चली हमसे तो तनहा तुम भी हो हमसे तनिक भी न जो तुम सहमी तो मेरा गम गलतफहमी हाँ माचिस तुम अगर थे तो,हम भी ईंधन के ही घर थे जली थी लौ मोहब्बत की,धुंआ भी गलतियां लौ की फिजा ने फूक मारी थी,फरेबी जल से हारी थी किसी ने कहा दिया आके,इसे लो देख आजमां के हम बाजी मार जाते है,पर बाजी हार जाते है लो राजी हो तो जाते है पर राजी कर नहीं पाते नही रंगीन है इतने,बदलकर रंग दिखलाए कसम खाकर ही जो रूठा, उसे अब रब ही मनवाए कर लेते होंगे दुनियां में,मगर होता नही हमसे तुनक कर तुम चली हमसे,तो तनहा तुम भी हो हमसे ©दीपेश #रूठी #जुदाई #paper