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सत्ता अंधी है लाठी के सहारे चलती है सत्ता बहरी है

सत्ता अंधी है लाठी के सहारे चलती है सत्ता
 बहरी है सिर्फ धमाके सुनती है सत्ता गूंगी है
 सिर्फ माइक पर हाथ नचाती है कागज छूती
 नहीं आगे सरकाती है सत्ता के पैर भारी है 
कुर्सी पर बैठे रहने की बीमारी है पकड़कर
 बिठा दो कार में चढ़ जाती है... 
-गोपाल प्रसाद व्यास

©VED PRAKASH 73
  #उस्तरा