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वह, मैं और वह चोरी-चोरी चुपके देखा वो करती थी । अ

वह, मैं और वह

चोरी-चोरी चुपके देखा वो करती थी ।
अपने खामोशियों से लब्ज मेरे मांगती थी ।।
कुछ कहना वो चाहती थी ।
पर ना जाने क्यों कह ना पाती थी ।।
भावनाए उसकी कुछ कहती थी ।
दिल में छुपाए कुछ रहती थी ।।
मैं खेल उसके जज़्बातों से रहा था ।
मैं खेल अपनी औकातों ‍से रहा था ।।
वो कुछ मुझमें ढूंढती रही ।
मैं किसी और में सुकून ढूंढता रहा ।
वो किसी और से सूकुं सूकुं पाती रही ।।
अपनी नज़रें मै दरकिनार करता रहा ।
शायद वो मुझसे प्यार करती रही ।।
मैं किसी और से प्यार करता रहा ।
और वो किसी और से प्यार करती रही ।।
ना उसे अपना प्यार मिल सका ।
ना मैं अपना प्यार पा सका । #मैं_और_वो और वो
#में_करू_तो_भी_और_क्या_करू
#मैंनेचाहा
#मैंनेचुना
#मैंने_देखा_है
#Pk_Pankaj
वह, मैं और वह

चोरी-चोरी चुपके देखा वो करती थी ।
अपने खामोशियों से लब्ज मेरे मांगती थी ।।
कुछ कहना वो चाहती थी ।
पर ना जाने क्यों कह ना पाती थी ।।
भावनाए उसकी कुछ कहती थी ।
दिल में छुपाए कुछ रहती थी ।।
मैं खेल उसके जज़्बातों से रहा था ।
मैं खेल अपनी औकातों ‍से रहा था ।।
वो कुछ मुझमें ढूंढती रही ।
मैं किसी और में सुकून ढूंढता रहा ।
वो किसी और से सूकुं सूकुं पाती रही ।।
अपनी नज़रें मै दरकिनार करता रहा ।
शायद वो मुझसे प्यार करती रही ।।
मैं किसी और से प्यार करता रहा ।
और वो किसी और से प्यार करती रही ।।
ना उसे अपना प्यार मिल सका ।
ना मैं अपना प्यार पा सका । #मैं_और_वो और वो
#में_करू_तो_भी_और_क्या_करू
#मैंनेचाहा
#मैंनेचुना
#मैंने_देखा_है
#Pk_Pankaj
praveenkumarpank7896

Pk Pankaj

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