वह, मैं और वह चोरी-चोरी चुपके देखा वो करती थी । अपने खामोशियों से लब्ज मेरे मांगती थी ।। कुछ कहना वो चाहती थी । पर ना जाने क्यों कह ना पाती थी ।। भावनाए उसकी कुछ कहती थी । दिल में छुपाए कुछ रहती थी ।। मैं खेल उसके जज़्बातों से रहा था । मैं खेल अपनी औकातों से रहा था ।। वो कुछ मुझमें ढूंढती रही । मैं किसी और में सुकून ढूंढता रहा । वो किसी और से सूकुं सूकुं पाती रही ।। अपनी नज़रें मै दरकिनार करता रहा । शायद वो मुझसे प्यार करती रही ।। मैं किसी और से प्यार करता रहा । और वो किसी और से प्यार करती रही ।। ना उसे अपना प्यार मिल सका । ना मैं अपना प्यार पा सका । #मैं_और_वो और वो #में_करू_तो_भी_और_क्या_करू #मैंनेचाहा #मैंनेचुना #मैंने_देखा_है #Pk_Pankaj