बैठा हूं मैं फिर थका हारा न कोई है हमदम मेरा न ही मोहब्बत का सहारा रह गया बस याद का मंजर उल्फत में ही ये बन गया बेचारा बैठा हूं मैं फिर थका हारा पं अश्वनी कुमार मिश्रा बैठा हूं मैं फिर थका हारा न कोई है हमदम मेरा न ही मोहब्बत का सहारा रह गया बस याद का मंजर उल्फत में ही ये बन गया बेचारा बैठा हूं मैं फिर थका हारा पं अश्वनी कुमार मिश्रा