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आंखों से जो निकले अशक,बो कुछ ही पलो मे सूख गये...

आंखों से जो निकले अशक,बो कुछ ही पलो मे सूख गये... 
जो सजाये थे सपने मैंने, बो भी तो टूट गये....!!
मै करता रहा गुस्ताखियांं बेपरबाह होकर., 
जो मेरे थे हरपल, वो अपने मुझसे रूठ गये....!
मै चल ना पाया तेरा साया बनकर, 
मैंने चलने थे जो साथ तेरे, वो रास्ते छूट गये...!! 
मैं कहता रहा जो हरपल तुझसे,
सब पकडे मेरे झूठ गये.....!
अब सुनता नही कोई मेरे मनहूस लफ़्जो को,
जो सुनते थे मेरी बातो को, वो भी मुझसे रूठ गये...! 

#writer-bhola 505#              

                                             #imagination.-kj# प्यार के लफ्ज़ by karamjeet singh
आंखों से जो निकले अशक,बो कुछ ही पलो मे सूख गये... 
जो सजाये थे सपने मैंने, बो भी तो टूट गये....!!
मै करता रहा गुस्ताखियांं बेपरबाह होकर., 
जो मेरे थे हरपल, वो अपने मुझसे रूठ गये....!
मै चल ना पाया तेरा साया बनकर, 
मैंने चलने थे जो साथ तेरे, वो रास्ते छूट गये...!! 
मैं कहता रहा जो हरपल तुझसे,
सब पकडे मेरे झूठ गये.....!
अब सुनता नही कोई मेरे मनहूस लफ़्जो को,
जो सुनते थे मेरी बातो को, वो भी मुझसे रूठ गये...! 

#writer-bhola 505#              

                                             #imagination.-kj# प्यार के लफ्ज़ by karamjeet singh