युग के आरंभ से अब तक किसी मनुष्य के हृदय में उत्पन्न प्रेम की सबसे गहरी और सच्ची भावना जैसी रही होगी तुम्हारे लिए मेरा प्यार वैसा ही है तुम्हारी सुंदर निश्चल आँखें और सीधी सच्ची बातें किसी पेशेवर झूठे को भी किसी मासूम बच्चे सा निर्मल कर देती हैं तो कहो मैं कैसे अपवाद रहता ? तुम्हारा प्यार, इनकार, गुस्सा सबकुछ स्वीकार है मुझे समय के अंत तक तुम्हारी प्रतीक्षा भी स्वीकार है किन्तु फिर भी एक उद्विग्नता है कि हम शीघ्र-अतिशीघ्र साथ आ जाएं ताकि इस छोटे - नश्वर जीवन मे तुम्हारे साथ थोड़ा अधिक समय बिता सकूँ ©Manaswin Manu #100Loveletters #Manaswin_Manu