न कान है , न नाक है ! मनुष्यता से तलाक है ! संवेदनाएं भस्मीभूत होकर आत्मीयता को खोकर चरित्र को मार दी ठोकर ! बन गए महान , व्यक्तित्व से श्मशान आचरण से कब्रिस्तान ! यह धरा पर धिक्कार के पर्याय है ! कुछ के लिए धन्य हैं विराट हैं , कुचक्रवर्ती सम्राट हैं ! न कान है , न नाक है ! मनुष्यता से तलाक है ! संवेदनाएं भस्मीभूत होकर आत्मीयता को खोकर चरित्र को मार दी ठोकर ! बन गए महान व्यक्तित्व से श्मशान आचरण से कब्रिस्तान !