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मैं अपना गाँव-घर,बगिया-बगीचे छोड़ आया हूँ मेरे दीद

मैं अपना गाँव-घर,बगिया-बगीचे छोड़ आया हूँ
मेरे  दीदार को बेताब  दरीचे  छोड़ आया हूँ 
मुझे इस जिंदगी में कुछ कदम आगे को जाना है
बनिस्बत मैं कई रिश्तों को पीछे छोड़ आया हूँ
-- प्रशान्त मिश्रा यात्रा परदेश की
मैं अपना गाँव-घर,बगिया-बगीचे छोड़ आया हूँ
मेरे  दीदार को बेताब  दरीचे  छोड़ आया हूँ 
मुझे इस जिंदगी में कुछ कदम आगे को जाना है
बनिस्बत मैं कई रिश्तों को पीछे छोड़ आया हूँ
-- प्रशान्त मिश्रा यात्रा परदेश की