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मृत्युदूत ------- मृत्युदूत जब आता है, जीवन थर-थर,

मृत्युदूत
-------
मृत्युदूत जब आता है,
जीवन थर-थर, थर्राता है,
फिर लोभ कँहा,फिर दोष कँहा
फिर धन दौलत का जोश कँहा
फिर कँहा रहती सुंदर काया
फिर साथ कँहा अपनी छाया।

वो धमक-धमक कर आता है
पलभर में सब हर जाता है,
हो राजमहल या फिर कुटिया
हो कोई जवां या फिर बुढ़िया
हो उपकारी,या अपकारी
हो डाकू,वैद्य या ब्रह्मचारी
खड्ग बड़ा उसका भारी
आनी है सबकी बारी।

वो निरंकार वो निर्भय है
वो चिरकाल से अक्षय है
वो रहता पल पल संग तेरे
वो जीवन पथ का निश्चय है।

इस निश्चय को जान तो लो
न तेरा है ये मान तो लो
फिर अहंकार फिर द्वेष कँहा
फिर संचय का उद्देश्य कँहा
जो उसका है वो ले लेगा
फिर रहता तेरा अवशेष कँहा।
एक शून्य महज रह जाता है
मृत्युदूत जब आता है
जीवन थर-थर थर्राता है

दिलीप कुमार खाँ-अनपढ़ #मृत्युदूत
मृत्युदूत
-------
मृत्युदूत जब आता है,
जीवन थर-थर, थर्राता है,
फिर लोभ कँहा,फिर दोष कँहा
फिर धन दौलत का जोश कँहा
फिर कँहा रहती सुंदर काया
फिर साथ कँहा अपनी छाया।

वो धमक-धमक कर आता है
पलभर में सब हर जाता है,
हो राजमहल या फिर कुटिया
हो कोई जवां या फिर बुढ़िया
हो उपकारी,या अपकारी
हो डाकू,वैद्य या ब्रह्मचारी
खड्ग बड़ा उसका भारी
आनी है सबकी बारी।

वो निरंकार वो निर्भय है
वो चिरकाल से अक्षय है
वो रहता पल पल संग तेरे
वो जीवन पथ का निश्चय है।

इस निश्चय को जान तो लो
न तेरा है ये मान तो लो
फिर अहंकार फिर द्वेष कँहा
फिर संचय का उद्देश्य कँहा
जो उसका है वो ले लेगा
फिर रहता तेरा अवशेष कँहा।
एक शून्य महज रह जाता है
मृत्युदूत जब आता है
जीवन थर-थर थर्राता है

दिलीप कुमार खाँ-अनपढ़ #मृत्युदूत