आवारगी ने एक बड़ा काम कर दिया गुमनाम जी रहा था मैं बदनाम कर दिया दे दे के शराफत के उलाहने मुझे दिन रात मुझको भी दोस्तों ने बेईमान कर दिया यूं देखता है अब मुझे हर शख्स घूर के जैसे शहर में मैंने कत्ल-ए-आम कर दिया इख़्लास, वफा, मिन्नतें कुछ काम न आई और हुस्न ने फिर इश्क पे इल्ज़ाम धर दिया हलकान हो चुका था जिगर दर्द से बहुत कर के नुमाया सब, इसेे आराम कर दिया गिर के, फिसल के, डगमगा के पाया है सुकून मुश्किल था सफर साकी ने आसान कर दिया ✍️अरूण त्यागी #Meri Shayari #AKT