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मुझे बिल्कुल भी प्यार नही तुम्हारे झुमकों, तुम्

मुझे 
बिल्कुल भी प्यार नही 
तुम्हारे झुमकों,
 तुम्हारी खूबसूरत आँखों, 
मख़मली गालों से
शायद... 
तुम्हारे अंदर कुछ है 
जो इन सब के होने से पहले
और न होने के बाद भी 
मुझे तुम्हारी तरफ 
हमेशा खींचता रहा है
और शायद खींचता रहेगा भी 
कुछ है तुम्हारे अंदर 
जो शायद मुझसे 
टूट कर, छूट कर 
रह गया होगा तुममे कभी
हाँ मगर कुछ ऐसा है तुममे 
जो तुम्हारे खुश रहने पर 
मुझे भी ख़ुशी देता है 
शायद इसे ही प्यार कहते होंगे...

©हिमांशु Kulshreshtha मुझे...
मुझे 
बिल्कुल भी प्यार नही 
तुम्हारे झुमकों,
 तुम्हारी खूबसूरत आँखों, 
मख़मली गालों से
शायद... 
तुम्हारे अंदर कुछ है 
जो इन सब के होने से पहले
और न होने के बाद भी 
मुझे तुम्हारी तरफ 
हमेशा खींचता रहा है
और शायद खींचता रहेगा भी 
कुछ है तुम्हारे अंदर 
जो शायद मुझसे 
टूट कर, छूट कर 
रह गया होगा तुममे कभी
हाँ मगर कुछ ऐसा है तुममे 
जो तुम्हारे खुश रहने पर 
मुझे भी ख़ुशी देता है 
शायद इसे ही प्यार कहते होंगे...

©हिमांशु Kulshreshtha मुझे...