ये हवाएं न जाने किस गली ले जा रही हैं ये हवाएं, अनमनी सी, अनसुनी से ये हवाएं। अंधेरे रास्ते भटकाव के शागिर्द ही हैं, अंधेरे रास्ते मे ही भटकती ये हवाएं।। इस शहर में उस सहर से ही न जाने, क्यों भटकती जा रही हैं ये हवाएं। शहर दर डूबती तन्हाई में हैं गूंजती सी, कसक आँसू में भीगी सी भरी सी ये हवाएं। सफर में फैलती रुसवाइयों से लड़ झगड़कर, सफर पूरा हां करने अनमनी सी ये हवाएं। न जाने कब जरा हो इस सफर की इन्तेहाँ हो, इन्तेहाँ से दूर जाती ये हवाएं।।......(हवाएं-मन) #Isolated ये हवाएं, हवाएं-मन, मन जो भटकता है, टकराता है तन्हाई ये घबराता है...अनवरत चलता जाता है