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लिखना तो कुछ आता नही । फिर भी लिखें जा रहा हूं। अप

लिखना तो कुछ आता नही ।
फिर भी लिखें जा रहा हूं।
अपने मन के विचारों को
कागज पर ऊखेरे जा रहा हूं।
मैं लिखे जा रहा हूं।

अपने दर्द-ए-हालात को
अपनी ही कलम से 
मैं सिये जा रहा हूं।
मैं लिखे जा रहा हूं।

जिंदगी के सारे गमों को
सुधा समझकर,
मैं पिये जा रहा हूं।
मैं लिखे जा रहा हूं।

कठिनाइयों का आलिंगन कर
अपने ह्रदय  में,
मैं भरे जा रहा हूं।

मैं लिखे जा रहा हूं। 
मैं लिखे जा रहा हूं। मैं लिखे जा रहा हूं
लिखना तो कुछ आता नही ।
फिर भी लिखें जा रहा हूं।
अपने मन के विचारों को
कागज पर ऊखेरे जा रहा हूं।
मैं लिखे जा रहा हूं।

अपने दर्द-ए-हालात को
अपनी ही कलम से 
मैं सिये जा रहा हूं।
मैं लिखे जा रहा हूं।

जिंदगी के सारे गमों को
सुधा समझकर,
मैं पिये जा रहा हूं।
मैं लिखे जा रहा हूं।

कठिनाइयों का आलिंगन कर
अपने ह्रदय  में,
मैं भरे जा रहा हूं।

मैं लिखे जा रहा हूं। 
मैं लिखे जा रहा हूं। मैं लिखे जा रहा हूं

मैं लिखे जा रहा हूं