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तुम्हे कबूल नही है मेरे मुल्क की मोहब्बत यही सोच क

तुम्हे कबूल नही है मेरे मुल्क की मोहब्बत
यही सोच कर मैं परेशान हो जाता हूं
मजहबो में बाँट रखा है मेरे वतन को तुमने
एक मैं हूँ जो मन्दिर पे चढू तो पूजा
मस्जिद में चढू तो अजान हो जाता हूं... one religion only indian
तुम्हे कबूल नही है मेरे मुल्क की मोहब्बत
यही सोच कर मैं परेशान हो जाता हूं
मजहबो में बाँट रखा है मेरे वतन को तुमने
एक मैं हूँ जो मन्दिर पे चढू तो पूजा
मस्जिद में चढू तो अजान हो जाता हूं... one religion only indian