वो एक औरत है... ज्वाला सी जलती है, फ़ूलों सी मुरझा जाती। जाने किन चीजों को हरबार सहन करती है, जी हाँ वो एक औरत है... भगवान की क्या अद्भुत है ये माया अनाथ को दिया माँ का छाया, बिगड़े को दिया बहन का साया दिल टूटने पर जिस की गोद मैं रोया जी हाँ वो थी एक औरत की काया..... नजाने कितने अत्याचार किए इस दरिन्दे समाज ने उनपर, हरबार टूटी है, फिर भी खडी है चट्टान सी जी हाँ वो एक औरत है जी हाँ वो एक औरत है..... - प्रणित शर्मा वो एक औरत है... ज्वाला सी जलती है, फ़ूलों सी मुरझा जाती। जाने किन चीजों को हरबार सहन करती है, जी हाँ वो एक औरत है... भगवान की क्या अद्भुत है ये माया