Nojoto: Largest Storytelling Platform

धुंधला है चन्द्रमा सोया है मैदान घास का ओढ़े हु

धुंधला है चन्द्रमा 
सोया है मैदान घास का
ओढ़े हुए धुंधली–सी चाँदनी 

और गंध घास की 
फैली है मेरे आसपास और 
जहाँ तक जाता हूँ वहां तक 

चादर चाँदनी की आज मैली है 
यों उजली है वो घास की इस गंध की अपेक्षा 
हरहराते घास के इस छन्द की अपेक्षा 

मन अगर भारी है 
कट जायेगी आज की भी रात 
कल की रात की तरह 
जब आंसू टपक रहे हैं 
कल की तरह 
लदे वृक्षों के फल की तरह 
और मैं हल्का हो रहा हूँ 
आज का रहकर भी 
कल का हो रहा हूँ



🙎

©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  #Dhundhla
 #Hai
#Chandrama..