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एक तुम ही तो थे, अँधेरे के दीये, आज खुद ही अँधेरे

एक तुम ही तो थे, अँधेरे के दीये,
आज खुद ही अँधेरे बन गए,
कभी रोशन की थी अमित आनन्द से जिनकी दुनिया,
छीन ले गए उनके नसीब से सारी खुशियाँ,
क्यों जिंदगी की जंग तुम्हें रास न आई,
छोड़ दी अपनों के लिए नीरस तन्हाई।
एक बार तो कदम बढ़ाने से पहले सोच लेते,
पीछे मुड़कर आँखों के बहते आंसू देख लेते,
गुम हो गए जीवन की राह पर से,
साथी जीवनपथ के एक तुम ही तो थे।
 और कौन था मेरा,
यूँ तो कहने को था ज़माना मेरा।
#तुमहीतोथे #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
एक तुम ही तो थे, अँधेरे के दीये,
आज खुद ही अँधेरे बन गए,
कभी रोशन की थी अमित आनन्द से जिनकी दुनिया,
छीन ले गए उनके नसीब से सारी खुशियाँ,
क्यों जिंदगी की जंग तुम्हें रास न आई,
छोड़ दी अपनों के लिए नीरस तन्हाई।
एक बार तो कदम बढ़ाने से पहले सोच लेते,
पीछे मुड़कर आँखों के बहते आंसू देख लेते,
गुम हो गए जीवन की राह पर से,
साथी जीवनपथ के एक तुम ही तो थे।
 और कौन था मेरा,
यूँ तो कहने को था ज़माना मेरा।
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drnehagoswamisha4463

नेहा

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