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संसाधनों से भरपूर शहर के खोखले, संवेदनहीन इमारतों।

संसाधनों से भरपूर शहर के खोखले, संवेदनहीन इमारतों।
गर कभी संवेदना और संसाधन की जरूरत हो,
मेरे गांव आना, 
फूस की महल में दोनों सिंचित है ।
~मजदूर #Migrants
संसाधनों से भरपूर शहर के खोखले, संवेदनहीन इमारतों।
गर कभी संवेदना और संसाधन की जरूरत हो,
मेरे गांव आना, 
फूस की महल में दोनों सिंचित है ।
~मजदूर #Migrants