इस छोटी सी दुनिया में मेरे बड़े से ख्वाब हैं, लिख लेता हूँ कुछ अफसाने खुद के लिए भी, मेरी जिंदगी भी जैसे कोई कहकशां है। रह जाता हूँ प्यासा मैं आँखो मे सागर लिए, मेरी बस्ती का बो नल आज भी खराब है। भर देती है मेरी जेबें अपने हिस्से की खुशियों से, मैने देखा है मेरी माँ मे खुदा का वास है। गुजर जाता है पहर आँख मूँदते ही आजकल, ये वक्त भी जैसे कोई घुड़सवार है। पैर पसार लेता हूँ मैं कभी कभी चादर के बाहर भी, मेरी उन्गलियों से खेलती इन सर्द हवाओं में, मुझे पागल करता मेरे महबूब का अहसास है। @ल्फाज् इस छोटी सी दुनिया में मेरे बड़े से ख्बाब हैँ। @ल्फाज़ #poem #shayari