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कुछ मस्किलें आते ही तुम इरादा बदल लेते हो यूं बात

कुछ मस्किलें आते ही तुम इरादा बदल लेते हो 
यूं बात -बात पर रोना ठीक नहीं,

ठोकरें तो आयेंगी बहुत सी चलते चलते 
यूं  रस्तों से सिकायात ठीक नहीं,

और अपनी मंजिल के खातिर खुद पर लिए इतने अहसान क्यूं
यूं हर किसी का सहारा ठीक नहीं,

और अपने ही बनाए उसूल और फैसले पर इतने सवाल
खुद पर इतना संसय ठीक नहीं,

खुद को खुद के काबिल बनाना सीखो तो कुछ बात है
यूं हर एक के जैसा बनना ठीक नहीं,

सबकुछ दांव पर लगाकर भी अगर मंजिल से चुके तो क्या गम है
पर अब बाजी से पीछे लौटना ठीक नहीं,

हर दर पर रुके इसलिए दर - बदर हो गए गुरु
हर दर पर सिर झुकाना ठीक नहीं,

सुना है बड़ा गमगीन माहौल है तनहाई में आपका
यूं खुद से दूरी ठीक नहीं,

ये सच है की आए थे मुफलिसी लेकर जहां में तुम 
यूं मुफलिसी में लौट जाना ठीक नहीं,

तुम्हारे जहन में सियाराम बसे हैं क्या कमाल है
यूं रहीम से नफ़रत ठीक नहीं,

और छोड़ो किसी के जाने का गम क्या करना 
यूं टूटकर बिखर जाना ठीक नहीं ।

                 JN kumar #ठीक नहीं
कुछ मस्किलें आते ही तुम इरादा बदल लेते हो 
यूं बात -बात पर रोना ठीक नहीं,

ठोकरें तो आयेंगी बहुत सी चलते चलते 
यूं  रस्तों से सिकायात ठीक नहीं,

और अपनी मंजिल के खातिर खुद पर लिए इतने अहसान क्यूं
यूं हर किसी का सहारा ठीक नहीं,

और अपने ही बनाए उसूल और फैसले पर इतने सवाल
खुद पर इतना संसय ठीक नहीं,

खुद को खुद के काबिल बनाना सीखो तो कुछ बात है
यूं हर एक के जैसा बनना ठीक नहीं,

सबकुछ दांव पर लगाकर भी अगर मंजिल से चुके तो क्या गम है
पर अब बाजी से पीछे लौटना ठीक नहीं,

हर दर पर रुके इसलिए दर - बदर हो गए गुरु
हर दर पर सिर झुकाना ठीक नहीं,

सुना है बड़ा गमगीन माहौल है तनहाई में आपका
यूं खुद से दूरी ठीक नहीं,

ये सच है की आए थे मुफलिसी लेकर जहां में तुम 
यूं मुफलिसी में लौट जाना ठीक नहीं,

तुम्हारे जहन में सियाराम बसे हैं क्या कमाल है
यूं रहीम से नफ़रत ठीक नहीं,

और छोड़ो किसी के जाने का गम क्या करना 
यूं टूटकर बिखर जाना ठीक नहीं ।

                 JN kumar #ठीक नहीं