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विश्व आर्थिक मंच की हाल में लैंगिक अंतराल रिपोर्ट

विश्व आर्थिक मंच की हाल में लैंगिक अंतराल रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 ने लैंगिक असमानता को और भी बढ़ा दिया है यह रिपोर्ट बताती है कि अब महिला और पुरुष के बीच समानता आने में करीब 136 वर्ष लग जाएंगे वहीं आर्थिक असमानता खत्म होने में ढाई सौ से अधिक मतलब सही है आर्थिक समानता का एक बहुत बड़ा कारण महिला और पुरुष के बीच वेतन का एक बड़ा अंतर है विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि दुनिया भर में महिलाओं को पुरुष की तुलना में 23% तक कम वेतन मिलता है अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आई एल ओ की विश्व वेतन रिपोर्ट 2016-17 के अनुसार भारत में पुरुष और महिलाओं की वेतन में 30% से ज्यादा अंतर है ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2011-12 में औसतन समान कार्य के लिए पुरुष की जैसी योग्यता होने के बावजूद उनकी तुलना में महिलाओं को 34% कम भुगतान किया गया यह भी सामने आया है कि जाति वर्ग धर्म और स्त्री पुरुष भेदभाव जैसे संरक्षक कार्यों का भी महिलाओं के प्रति आस्था पर प्रभाव पड़ता है इतना ही नहीं सब कम वेतन पाने वालों में महिलाओं की संख्या 60% है जबकि उच्च वर्ग में उनकी तादाद महज 15% है महिलाओं को नहीं माना जाता और ना ही उनके पास कोई भूमि का स्वामित्व होता इस कारण किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता इससे उनकी आर्थिक स्थिति ही नहीं उत्पाद पर भी बुरा असर पड़ता है यदि किसी देश की आधी आबादी गैर परिश्रम कर्म उत्पादक और गौर आर्थिक गतिविधियों तक सीमित हो तो ऐसी स्थिति में कोई भी देश ना तो विकसित हो सकता है और ना ही अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सकता है ऐसे में एक ऐसा देश जहां शिक्षा व राजनीति में महिलाओं को पुरुष के बराबर अवसर दिए जाने की बात है

©Ek villain # कामकाजी आबादी का हो संतुलित

#BookLife
विश्व आर्थिक मंच की हाल में लैंगिक अंतराल रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 ने लैंगिक असमानता को और भी बढ़ा दिया है यह रिपोर्ट बताती है कि अब महिला और पुरुष के बीच समानता आने में करीब 136 वर्ष लग जाएंगे वहीं आर्थिक असमानता खत्म होने में ढाई सौ से अधिक मतलब सही है आर्थिक समानता का एक बहुत बड़ा कारण महिला और पुरुष के बीच वेतन का एक बड़ा अंतर है विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि दुनिया भर में महिलाओं को पुरुष की तुलना में 23% तक कम वेतन मिलता है अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आई एल ओ की विश्व वेतन रिपोर्ट 2016-17 के अनुसार भारत में पुरुष और महिलाओं की वेतन में 30% से ज्यादा अंतर है ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2011-12 में औसतन समान कार्य के लिए पुरुष की जैसी योग्यता होने के बावजूद उनकी तुलना में महिलाओं को 34% कम भुगतान किया गया यह भी सामने आया है कि जाति वर्ग धर्म और स्त्री पुरुष भेदभाव जैसे संरक्षक कार्यों का भी महिलाओं के प्रति आस्था पर प्रभाव पड़ता है इतना ही नहीं सब कम वेतन पाने वालों में महिलाओं की संख्या 60% है जबकि उच्च वर्ग में उनकी तादाद महज 15% है महिलाओं को नहीं माना जाता और ना ही उनके पास कोई भूमि का स्वामित्व होता इस कारण किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता इससे उनकी आर्थिक स्थिति ही नहीं उत्पाद पर भी बुरा असर पड़ता है यदि किसी देश की आधी आबादी गैर परिश्रम कर्म उत्पादक और गौर आर्थिक गतिविधियों तक सीमित हो तो ऐसी स्थिति में कोई भी देश ना तो विकसित हो सकता है और ना ही अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सकता है ऐसे में एक ऐसा देश जहां शिक्षा व राजनीति में महिलाओं को पुरुष के बराबर अवसर दिए जाने की बात है

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Ek villain

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