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किस्मत ने उलझाया तभी बाज़ी हारी हूँ । वरना जितना

किस्मत ने उलझाया 
तभी बाज़ी हारी हूँ ।
वरना जितना तो मुझे हर हाल में आया हैं ।
दोष मेरा हैं या मेरे अपनों का 
इस बात ने अभी तक सवाल बनाया ।
ये जंग ही हार चुकी हूँ ।
क्योकि अपनों ने ही तलवार उठाया हैं ।
गलत उनकी भी नहीं ।
शायद किस्मत ने ही ऐसा खेल रचाया हैं ।
कोन सही  कोन ग़लत ये पता नहीं ।
पर हाँ बिना ग़लती सज़ा मैंने बखूबी पाया हैं । ##जिंदगी ##किस्मत
किस्मत ने उलझाया 
तभी बाज़ी हारी हूँ ।
वरना जितना तो मुझे हर हाल में आया हैं ।
दोष मेरा हैं या मेरे अपनों का 
इस बात ने अभी तक सवाल बनाया ।
ये जंग ही हार चुकी हूँ ।
क्योकि अपनों ने ही तलवार उठाया हैं ।
गलत उनकी भी नहीं ।
शायद किस्मत ने ही ऐसा खेल रचाया हैं ।
कोन सही  कोन ग़लत ये पता नहीं ।
पर हाँ बिना ग़लती सज़ा मैंने बखूबी पाया हैं । ##जिंदगी ##किस्मत