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आज मानवता का भाव ही कहि खो सा गया है जब कोई व्यक्त

आज मानवता का भाव ही कहि खो सा गया है जब कोई व्यक्ति किसी हम साथी व्यक्ति के साथ कुछ समय बीतीत करने की इच्छा जाहिर करना चाहता है तो हम साथी व्यक्ति के मन मे प्रेम रूपी सवेंग का उद्गम हो जाता है इसी अभाव में वो व्यक्ति हम साथी व्यक्ति की मुख्यता को भूल मानवता रूपी आचरण का ह्रास कर देता है और हम साथी व्यक्ति को महसूस न करते हुए उसकी इच्छाओं को नष्ट कर खुद के प्रति खेद का भाव उत्पन्न कर लेता है।
अतः समयनुसार व्यक्ति की मानवता को समझे न कि उसकी भावुकता का ह्रास करें। @मानवता का ह्रास
आज मानवता का भाव ही कहि खो सा गया है जब कोई व्यक्ति किसी हम साथी व्यक्ति के साथ कुछ समय बीतीत करने की इच्छा जाहिर करना चाहता है तो हम साथी व्यक्ति के मन मे प्रेम रूपी सवेंग का उद्गम हो जाता है इसी अभाव में वो व्यक्ति हम साथी व्यक्ति की मुख्यता को भूल मानवता रूपी आचरण का ह्रास कर देता है और हम साथी व्यक्ति को महसूस न करते हुए उसकी इच्छाओं को नष्ट कर खुद के प्रति खेद का भाव उत्पन्न कर लेता है।
अतः समयनुसार व्यक्ति की मानवता को समझे न कि उसकी भावुकता का ह्रास करें। @मानवता का ह्रास

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