"सुन लो विनती" माधव मेरी सुन लो ये विनती, लिख-लिख पाती करती हूं अर्जी! तेरे दरस को तरस रही हूं, याद में तेरी तड़प रही हूं! इन नैनो को दरस दिखा जा, आजा कान्हा प्रीत निभा जा! तुझ बिन जीवन नीरस मेरा, मन उपवन में घोर अंधेरा! आस की आकर ज्योत जगा, आजा कान्हा प्रीत निभा जा। ©Srashti kakodiya #आजा_कान्हा_प्रीत_निभा_जा #nojotohindi#nojotohindiwriters