मां यशोदा के नंदलाला, मीरा के प्रभु गिरधर गोपाला। तेरी बांसुरी के सुर जो साधे, चाहे गौ हो या कोई बृजबाला। हर पल ये मन जपता रहता, तेरे मधुर नाम की माला। मैं प्रेम की जो सरिता, तुम उस प्रेम का सागर। घनश्याम मोरे कृष्ण कन्हैया, क्या है दोष मेरी लुढ़के जो नैया। पार करोगे जो तुम खिवैया, मन में प्रतिरूप तोरा बसैया। श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, है नाथ नारायण वासुदेवा। कृष्णा.... मोरे कृष्णा.... तेरे नाम की.... जपता हूं माला। ©Shubham36 श्री कृष्ण गोविंद भजन को दिया नया रूप। #krishna_flute #Krishna #Nandlala #Govind #Bhakti #Love #ethics #Inspiration