ये कौन राह में बैठे हुए मुस्कुराते है मुसाफ़िरों को गलत रास्ता बताते है तुम्हारे दिए ज़ख्म क्यूं नहीं भरते.. मेरे तो लगाए हुए पेड़ सूख जाते है तुम्हारा कोई सफ़र पर गया तो हम भी पूछेंगे रेल गुज़र जाए तो हम हाथ क्यूं हिलाते है A-kay