क्यों कहू तुझसे की ना करूँगा मुहोब्बत अब किसी और से , कहने को वेसे भी अब क्या रहा,जो बात करूँगा किसी और से वक्त दर वक्त, लम्हा दर लम्हा गुज़रे जो ज़िन्दगी… तेरी तरह, तेरे जैसे कोई लगा ले मुझे गले, क्या खुद जा के कह सकूँगा किसी और से ? जा कह भी दू वैसा, जैसा तू करती थी मेरे लिए… पर जो प्यार भरी बाते मेरे लब पे थी तेरे लिये, क्या वो जा के कह सकूँगा किसी और से ? ना कर उम्मीद मेरे रोने और हसने की तेरे जाने के बाद, तेरी बेवफाई की बाते क्या अब कर सकूँगा किसी और से ? में जानता हु तू अब भी प्यार करती हे मुझसे … मेरे दिल की बाते क्या तेरे सिवा कह सकूँगा किसी और से ? इंतजार हे उस वक्त का जब तू लौट आएगी… तू लौट आएगी मेरी ज़िन्दगी मे फिर से क्या ये जा के कह सकूँगा किसी और से ? with broken heart