गूंगी गुड़िया बोल उठी। तोड़ गुमनामी की दीवार, खुली हवा की लहर हुई। जिंदगी की जंग जीत कर, इन्द्रधनुष के रंग हुई । इतिहास को जन्म देने वाली, वंचित रही अधिकार से। उसके मन को बहलाया, धातु के उपहारो से। (Read in Caption) Day:5 गूंगी गुड़िया बोल उठी। तोड़ गुमनामी की दीवार, खुली हवा की लहर हुई। जिंदगी की जंग जीत कर,