मेरा क़ातिल मेरा मसीहा था मुझसे दोस्तों की तरह मिलता था मेरे जीने की दुआ की थी उसने सुना है साजिश भी किया करता था भुला के मुझको जी रहा है कहीं मेरी याद में सुबहो-शाम जिया करता था मुस्कुराना तो उसकी फ़ितरत थी हमेशा से मेरी तबाही पे भी खुल के हँसा करता था #love #दग़ा #yqbaba #yqdidi #yqquotes