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पूरा देश लक्ष्मी की पूजा करता है दीपावली पर। दुर्ग

पूरा देश लक्ष्मी की पूजा करता है दीपावली पर।
दुर्गा की पूजा करता है नवरात्रा में,नौ दिन।
सरकारें अरबों रूपए चाट रही हैं-
‘बेटी बचाओ’,‘कन्या भ्रूण’,‘बेटी पढ़ाओ’,‘शादी करवाओ’,
‘उनको मुफ्त शिक्षा दो’,‘किताबें,यूनिफॉर्म, साइकिलें बांटों।’
और जब वो बड़ी हो जाएं तो सत्ता में बैठे मठाधीश ही
सबसे पहले उनको भोग की वस्तु बना डालते हैं। दीपावली का पर्व लक्ष्मी-
उल्लू और अंधकार का है।
उल्लू को प्रकाश में दिखाई नहीं देता।
इसीलिए पर्व रात में ही मनाया जाता है।
आज रोशनी आधार बन गई है पर्व के वैभव का,
क्योंकि आज लक्ष्मी की परिभाषा भी बदल गई।
अब केवल धन, दौलत, वैभव ही लक्ष्मी कहलाते हैं।
इनको शास्त्रों में जड़ कहा है।
पूरा देश लक्ष्मी की पूजा करता है दीपावली पर।
दुर्गा की पूजा करता है नवरात्रा में,नौ दिन।
सरकारें अरबों रूपए चाट रही हैं-
‘बेटी बचाओ’,‘कन्या भ्रूण’,‘बेटी पढ़ाओ’,‘शादी करवाओ’,
‘उनको मुफ्त शिक्षा दो’,‘किताबें,यूनिफॉर्म, साइकिलें बांटों।’
और जब वो बड़ी हो जाएं तो सत्ता में बैठे मठाधीश ही
सबसे पहले उनको भोग की वस्तु बना डालते हैं। दीपावली का पर्व लक्ष्मी-
उल्लू और अंधकार का है।
उल्लू को प्रकाश में दिखाई नहीं देता।
इसीलिए पर्व रात में ही मनाया जाता है।
आज रोशनी आधार बन गई है पर्व के वैभव का,
क्योंकि आज लक्ष्मी की परिभाषा भी बदल गई।
अब केवल धन, दौलत, वैभव ही लक्ष्मी कहलाते हैं।
इनको शास्त्रों में जड़ कहा है।

दीपावली का पर्व लक्ष्मी- उल्लू और अंधकार का है। उल्लू को प्रकाश में दिखाई नहीं देता। इसीलिए पर्व रात में ही मनाया जाता है। आज रोशनी आधार बन गई है पर्व के वैभव का, क्योंकि आज लक्ष्मी की परिभाषा भी बदल गई। अब केवल धन, दौलत, वैभव ही लक्ष्मी कहलाते हैं। इनको शास्त्रों में जड़ कहा है। #भारतीय #पंछी #पाठक #हरे