स्वतंत्र गगन मिट्टी ने हमे सहेज रखा है बिलकुल एक पुष्प के भांति। हम खिलते है, महकते है, मुरझाते है, संभलते है। //कैप्शन में पढ़े मिट्टी ने हमे सहेज रखा है बिलकुल एक पुष्प के भांति। हम खिलते है, महकते है, मुरझाते है, संभलते है। मगर वो कहते है की उन्हें आसमान का भ्रमण करना है। वो किसी स्वतंत्र पाखी सा,