मैने देखा वो गांव की गलियाँ वहाँ के लोगो का रहन-सहन शहर सा नही पर खूबसूरत था हवा थी सूकून था लोगों के संग एक अलग ही फिज़ा थी अंजान थे पर जाने से लगे मेरी धुन को भी वो गाने लगे एैसे खुद को वो बदलने लगे मेरे सम्मान मे सब प्रेम के दिये जलाने लगे मैने देखा उन गांव के लोगो को जो रोटी के संग प्याज कों आपस मे बांट के खाने लगे मुझसे भी वो भाईचारा निभाने लगे इस तरह वो वो मुझको अपनाने लगे हम सबका संस्कार हमारा परिवार हमारा गांव