मैंने कभी कहा नहीं, लेकिन कभी हाथ, कभी जेब, कभी मकां होना, कभी दरख़्त, कभी छत, कभी दवा होना, कभी चाबुक, कभी पत्थर, कभी हवा होना, कितना मुश्किल है, पिता के लिए, पिता होना। - नितिन कुमार हरित #फादर्स_डे #FathersDay