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जिस रात तुम संग न हो वो चांदनी नहीं होती हर किसी



जिस रात तुम संग न हो
वो चांदनी नहीं होती
हर किसी के चेहरे पे
वो सादगी नहीं होती

कैसे मैं बताऊं
क्या तुम कामायनी हो 
हर सुर्ख लबों में वो
चाशनी नहीं होती

वैसे तो ज़िंदगी में
और महबूब मिल जाते
सबमें राग तो बहुत हैं
पर रागिनी नहीं होती... 
© trehan abhishek ♥️ Challenge-890 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।


जिस रात तुम संग न हो
वो चांदनी नहीं होती
हर किसी के चेहरे पे
वो सादगी नहीं होती

कैसे मैं बताऊं
क्या तुम कामायनी हो 
हर सुर्ख लबों में वो
चाशनी नहीं होती

वैसे तो ज़िंदगी में
और महबूब मिल जाते
सबमें राग तो बहुत हैं
पर रागिनी नहीं होती... 
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