दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा © Subhani Sarwan FᎪᎡᎻᎪN ∶ ᏚᎻᎪᏆKᎻ ✔️