इश्क़ में जज़्बात दिखाने से रहे जंग में नाख़ून कटाने से रहे खोखली धरती के बशिंदे भला और कोई बोझ उठाने से रहे महफ़िल में हुस्न की भीड़ आई थी पाँव आशिकी में डगमगाने से रहे खौफ पर शराफत का रंग चढ़ाया वो सामने थी आँख मिलाने से रहे हमने पूछा नहीं उसने सोचा नहीं हाल दिल का हम बताने से रहे मुद्दतों दिल बचाया राम कैसे -कैसे आज फेफड़े में दाग़ बचाने से रहे *रामशंकर सिंह* ✍️ #Hindi #Poetry #Trending #my #shayri