देख के हालत बढ़ते जुल्मों की भारत कुछ कह रहा है, बनाया था संविधान अनुशासन के लिए फिर क्यों मौन पड़ा है। एक समान हक दिलाया था स्त्री और पुरुष को फिर क्यों यह भेदभाव पड़ा है, जात पात का भेद मिटाया था फिर क्यों हर बार बवाल खड़ा है। भारत कह रहा है देशवासियों से सविधान हूं मैं, फिर क्यों बीच रास्ते में अकेला खड़ा हूं। #प्रतियोगिता_शब्दवाटिका आप सबको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं:- 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें