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नफरत ज़हर है, तेज़ब है, आग है, इसका एक कतरा ही काफ

नफरत ज़हर है, तेज़ब है, आग है,
इसका एक कतरा ही काफीं है जलाने को 
कभी दिल, कभी जज्बात, कभी  इन्सानियत
रोक लो इसे, ना आने दो
अपने ज़हन में, घरों में, मोहल्लों में।। #nafrat#challenge#poetry#Ramandeep
नफरत ज़हर है, तेज़ब है, आग है,
इसका एक कतरा ही काफीं है जलाने को 
कभी दिल, कभी जज्बात, कभी  इन्सानियत
रोक लो इसे, ना आने दो
अपने ज़हन में, घरों में, मोहल्लों में।। #nafrat#challenge#poetry#Ramandeep