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न रखो वास्ता दिन से भी कोई दैनिकी में शामिल मगर आ

न रखो वास्ता दिन से भी कोई 
दैनिकी में शामिल मगर आसमां रखो 
आंखो में ख्वाब रखो 
आंख मगर खुली रखो
पलटे है पन्ने कैसे, कितने रात-दिन की किताब के
उस हिसाब का बस अपने कर्मों से राब्ता रखो

©Dhawni Aarya Dhami #रिश्ता #रातदिन ❤️‍🔥
#आसमां #आंखें 😉
#राब्ता #कर्मा 🙌

SIDDHARTH.SHENDE.sid Internet Jockey R Ojha Lalit Saxena #शुन्य Rana Sachin Banwal

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