फ़ासले दरम्यां इस क़दर हो गये, वस्ल के लम्हे सब मुख़्तसर हो गये। उसकी बातों में इतनी बरहमी थी कि, ख़्वाब आंखों के सब दरबदर हो गये। थामकर हाथ ऐसे चले दो क़दम, हाथ छूटा तो हम बेसफ़र हो गये। अपने साये को समझा था अपना मगर, शाम आई तो वो भी उधर हो गये। अब किसी बात पर अपना बस न रहा, हम इस दुनिया में ज़ेरो-ज़बर हो गये। रंजिशें दिल में रक्खीं.. मुहब्बत भी की, दिल भी जैसे किराए के घर हो गये। #yqaliem #fasley #dil #hath #wasl #lamhe