चारों और से गोरे गीदडो का बढ़ रहा था कारवा। घायल था आजाद शेर फिर भी था मुस्करा रहा। धीरे से मन ही में कहा तब। अब आजाद मरे इनके हाथों ये दिन आए कब। ख़ुद ही को गोली मार ली देखते रह गए सब। तब। आजाद मरे इनके हाथों ये दिन आये कब। ##आजाद ## is my holly ideal##