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जो अपना नहीं उसी पर हक़ जताए बैठे हैं कैद दिल मे

जो अपना नहीं उसी पर 
हक़ जताए बैठे हैं 
कैद दिल में करके उसे 
खुद को आजाद बताए बैठे हैं 
जो मिलेगा ही नहीं 
उसी की आस लगाए बैठे हैं 
दुनियां की इस भीड़ में 
एक उसे ही अपनाए बैठे हैं 
हार कर दिल अपना 
उसे खरीदार बनाए बैठे हैं 
जो अपना नहीं उसी पर 
हक़ जताए बैठे हैं

©Garima Srivastava
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