तू भी बाकी जैसी होती तो अच्छा होता मैं भी काश माटी का दीया होता आंच जलती रहती माटी गरम होती कभी तो तेल कम होता चटक मैं आज़ाद होता धीमी आंच मैं दिल पकता अच्छा है तू गोस्त खाती तो अच्छा होता ©Yash Verma #Yuhi #ds