जल हैं तो कल हैं यही जल निर्मल हैं, इसकी पवित्रता विमल हैं, इसे बचाओ तभी हम सब का जीवन सफल हैं, यह हैं प्राकृतिक संसाधन,करो न तुम इसका दोहन, इसके अनेक नाम हैं जल,नीर,वारि, इसके बिन जीना हो जाएगा भारी, जो इसे करता बर्बाद वो हैं महामूर्ख, जिंदगी से वो हैं बेसुर्ख , बून्द बून्द हैं इसकी कीमती,जैसे कोहिनूर की चमक हैं चमकती, मिले जितना उतना इस्तेमाल कर,बेवजह तू न इसे बर्बाद कर, जल का वास घट घट में हैं पाया,तालाब ,नदी,झरनों व समुद्र में हैं यह समाया, बिन जल तो न है जीवन की कामना ,जल हैं तो जीवन हैं प्रण के कि इसे हर हाल है बचाना। 🎀 Challenge-224 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।