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आज़ादी.. ये कैसे आज़ादी है.. ना जी पा रहे है ना

आज़ादी.. 
ये कैसे आज़ादी है..
ना जी पा रहे है 
ना मरने की आज़ादी है..
इतनी नफ़रत है 
तो इक और 
जलियांवाला बाग़ कर दो
खड़ा कर सवर्णों को 
मौत के घाट उतार दो...

शेष अनुशीर्षक में.... 
मायने आज़ादी के कभी जान ही ना पाया मैं
फिर भी मुबारक हो जश्नें आज़ादी सभी को..
कभी रहे होगें पुरखे हमारे उन्नत.. सरकार कहती है
किया है गुनाह पढ़ लिख समृद्ध हो.. सरकार कहती है
मान लेता हूं वे अत्याचार भी करते होंगे.. ये भी सरकार कहती है
तो बना ऐसा विधान की पुरखों के कृत्यों का खामियाजा उनकी औलादें भुक्तेंगी.. ये सरकार करती है
पैदा होते ही अधिकार छीनने लगे
आज़ादी.. 
ये कैसे आज़ादी है..
ना जी पा रहे है 
ना मरने की आज़ादी है..
इतनी नफ़रत है 
तो इक और 
जलियांवाला बाग़ कर दो
खड़ा कर सवर्णों को 
मौत के घाट उतार दो...

शेष अनुशीर्षक में.... 
मायने आज़ादी के कभी जान ही ना पाया मैं
फिर भी मुबारक हो जश्नें आज़ादी सभी को..
कभी रहे होगें पुरखे हमारे उन्नत.. सरकार कहती है
किया है गुनाह पढ़ लिख समृद्ध हो.. सरकार कहती है
मान लेता हूं वे अत्याचार भी करते होंगे.. ये भी सरकार कहती है
तो बना ऐसा विधान की पुरखों के कृत्यों का खामियाजा उनकी औलादें भुक्तेंगी.. ये सरकार करती है
पैदा होते ही अधिकार छीनने लगे