चिंतन मनन से तप बड़ा है चिंतामणि बीड़ी बेच रहा है मन्त्रणा विशारद है वो दिव्य पारस बना दूसरे का सोना खुद मिट्टी ढो रहा है संकल्प विहीन तप विहीन निरीह किस्मत को रो रहा है ।।।मौजज़ा©।।। #ek sher