न चादर बड़ी कीजिए , न ख़्वाहिशें दफन कीजिए चार दिन की जिदंगी हैं चैन से बसर कीजिए न परेशान किसी को कीजिये , न हैरान खुद को कीजिये । कोई लाख़ गलत बोले , मुस्करा के छोड़ दीजिए । न रूठा किसी से कीजिये , न झूठा वादा किसी कीजिये । कुछ फुरसत से समय निकालिये , कभी खुद से भी मुलाकात कीजिये ......!!!! @M . D . VERMA 👌🤲🤲🤲