हम तो राह के राही है अपनी मंजिल की और जा रहे हैं पर ना जाने कयुँ कईं लोग हमें पिछे से पुकार रहे हैं कभी लगता है देखलु पिछे मुड़कर कयुँ ये हमैं पुकार रहे हैं लेकिन हम अनदेखा करते जा रहे हैं हम तो एक छोटे से पंछी है जो आसमान कि और बढते जा रहे हैं हम तो अब आगे बढते जा रहे हैं अब ना जाने कयुँ ना गुजार सा हो गया है ये जहान अब लगता है हम यु ही जीते जा रहे हैं मन में जो समाऐ थे अब वे राह के निशान बनते जा रहे हैं और हम इन राहों में खोते जा रहे हैं अब तो हम बिना रूकावट की हुंकार भरने जा रहे हैं और बिना उफ़ की शुरुआत करने जा रहे हैं हम तो ना खुद का हौस रख रहे हैं और ना ही इस जमाने की खबर रख रहे हैं अब हम सिर्फ राहों की बात कर रहे हैं और इनका साथ पाना चाह रहे हैं हम तो राह के राही हे बस मुसकुराती खुशीयों की उम्मीद कर रहे हैं हम तो राह के राही है बस अपनी मंजिल की और बढते जा रहे हैं write by Annie If you like the poem then my hard work is successful ..... #Path #zindagi