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खेल-कूदकर फिर लड़कर संभल-संभलकर फिर गिरकर पापा की

खेल-कूदकर फिर लड़कर 
संभल-संभलकर फिर गिरकर 
पापा की गोदी सर रखकर 
नन्ही गुड़िया रो रही है 
कविता पूरी हो रही है।

दस को जो थी मिली पगार 
छब्बिस तक गर्म कर सकी बाज़ार  
जिसका दोस्त है एक उधार 
अगले दो हफ्ते उसके घर 
रात में जाके सो रही है 
कविता पूरी हो रही है।

हाय सयानी घर की रानी 
चतुराई की अजब कहानी 
बिजली थोड़ी बच जाये जो 
कुछ कपड़े हाथ से धो रही है 
कविता पूरी हो रही है।

बात है कुछ कुछ और बहाना 
मैंने उसका कहा न माना 
लेटी सोफे पर गुस्से में जाकर 
अपने सारे अहम को तजकर 
बीच रात मेरे बिस्तर में 
देखो कैसे घुस आयी है 
'कविता' पूरी होने आयी है।

#NaveenMahajan कविता पूरी हो रही है 
#NaveenMahajan
खेल-कूदकर फिर लड़कर 
संभल-संभलकर फिर गिरकर 
पापा की गोदी सर रखकर 
नन्ही गुड़िया रो रही है 
कविता पूरी हो रही है।

दस को जो थी मिली पगार 
छब्बिस तक गर्म कर सकी बाज़ार  
जिसका दोस्त है एक उधार 
अगले दो हफ्ते उसके घर 
रात में जाके सो रही है 
कविता पूरी हो रही है।

हाय सयानी घर की रानी 
चतुराई की अजब कहानी 
बिजली थोड़ी बच जाये जो 
कुछ कपड़े हाथ से धो रही है 
कविता पूरी हो रही है।

बात है कुछ कुछ और बहाना 
मैंने उसका कहा न माना 
लेटी सोफे पर गुस्से में जाकर 
अपने सारे अहम को तजकर 
बीच रात मेरे बिस्तर में 
देखो कैसे घुस आयी है 
'कविता' पूरी होने आयी है।

#NaveenMahajan कविता पूरी हो रही है 
#NaveenMahajan