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#OpenPoetry *माँ* नौ महिने तेरे अन्दर धीरे- धीरे ब

#OpenPoetry *माँ*
नौ महिने तेरे अन्दर
धीरे- धीरे बडा होता रहा
एक माली की तरह तू
खून से मुझे सीँचती रही
जन्म लेकर तेरी कोख से
देखा इस दुनियाँ को मैनेँ
लगी इस जहाँ से खूबसूरत
तेरे इस आँचल की दुनियाँ
जिसकी छांव में मुझको
अभी तो बडा होना है
तेरी ऊंगलियोँ को पकडकर
मुझको चलना सीखना है
मेरी पहली तोतली बोली
पुकारा मैने तुझको. . . माँ #OpenPoetry
#OpenPoetry *माँ*
नौ महिने तेरे अन्दर
धीरे- धीरे बडा होता रहा
एक माली की तरह तू
खून से मुझे सीँचती रही
जन्म लेकर तेरी कोख से
देखा इस दुनियाँ को मैनेँ
लगी इस जहाँ से खूबसूरत
तेरे इस आँचल की दुनियाँ
जिसकी छांव में मुझको
अभी तो बडा होना है
तेरी ऊंगलियोँ को पकडकर
मुझको चलना सीखना है
मेरी पहली तोतली बोली
पुकारा मैने तुझको. . . माँ #OpenPoetry